“ना तुम ना तुम्हारी आभास आकृतियाँ”
यहाँ भी वहाँ भी जहाँ भी देखती हूँ वहाँ तुम ही तुम नज़र आते हो ये मेरी नजरों का
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Read Moreवो मेस वाला लड़का ,जो खाना लेकर आता है। मेरे मन में वो ढेरो सवाल छोड़ जाता है । अभी
Read Moreपाचं – छः जन के समूह में जा रही हैं वे लड़कियाँ राष्ट्रिय राजमार्ग के एक ओर रंग बिरंगे, पुराने
Read Moreफूदक फदूक के घर आँगन में ची ची ची चहकती जब गौरेया नन्हें मुन्ने भागते इसके पीछे आज हाथ से
Read Moreकरती रही पिया पलक, देहरी इंतजार पी तेरे आगोश में, खुशियों की रसधार खुशियों की रसधार, मिलेगी मुझको जन्नत किया
Read Moreफूलों पर सो रही हूँ तुम्हारा सीना समझकर फूलों की डाली पर झूल रही तुम्हारा कंधा समझकर फूलों को
Read Moreमेरी जिंदगी की किताब के हर वरक हर हरफ़ हर शिफ़हे पर तुम्हारी खामोश मौजूदगी मजबूत दरख़्त सा भरोसा मेरा
Read Moreमिटटी की दीवारों पर न जाने क्या लिखती हो ? कभी जडती हो शब्द अनेकों कभी शब्द व्यंजना करती हो
Read Moreविश्व में हर जगह फैला प्रदूषण है , महामारी फैलती रोगो की भरमार है । नदियाँ सीमायें लाँघ बस्तियाँ बहा
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