चाँद की रोटी
यूँ दरख्तों तले भी बसर होती है जिंदगियाँ कुछ ख्वाब मुफलिसी में भी पलते है शब माँ का पाँव बनता
Read Moreयूँ दरख्तों तले भी बसर होती है जिंदगियाँ कुछ ख्वाब मुफलिसी में भी पलते है शब माँ का पाँव बनता
Read Moreअभिनन्दन और वंदन है बार-बार कब से स्वागत को हम हैं तैयार जहाँ विष्णु का चरण है यथावत हम
Read Moreशब्द मोहब्बत, इश्क, प्रेम, प्यार, लव के एक पंछी को माध्यम बनाकर गीत है जो गर में गुनगुनाऊ।।।।। ख्वाबों के
Read More“मैं” से हम हो जाऊँगा गंगा तट पर ये सारे भ्रम धो जाऊँगा गंगा तट पर कश्ती गम की डुबो
Read More