“दोहा मुक्तक”
प्रदत शीर्षक- शहद – पुष्परस, मधु, आसव, रस, मकरन्द। शहद सरीखे लय मधुर, लाल रसीले होठ नैना पट लजवंत हैं,
Read Moreप्रदत शीर्षक- शहद – पुष्परस, मधु, आसव, रस, मकरन्द। शहद सरीखे लय मधुर, लाल रसीले होठ नैना पट लजवंत हैं,
Read Moreक्या खूब क़त्ल तुम हर रोज कर रहे हो न शक की कोई गुंजाइश न सबूत छोड़ रहे हो ऐ
Read Moreखुली पलक में ख्वाब बुनो, और खुली आँख से ही देखो। सपने चाँदनी रात में नहीं, तप्त तपन की किरणों
Read Moreजीवन-एलबम ********************** जीवन की आपाधापी में, खो जाते है पल ऐसे ही, दामन को छू जाती है बस, यादों के
Read Moreअजीब सी होती है करीब सी होती है कभी तो बहुत खुशनशीब सी होती है रूठकर बड़ी तकलीफ दे जाती
Read Moreकौन सी शाम की बात लिखूँ हुई थी या नहीं वोह मुलाक़ात लिखूँ ढलते हुए शाम के साये में उभरते
Read Moreआज का मानव ,मानव को इसी तरह खा रहा है जिस तरह किट-पतंगे (दिमक) घर की दीवारों को खा जाते
Read Moreअब ये इश्क़ भी अजीब लत है तेरे ख़याल मुझे रंग देते हैं हर पल एक नए रंग में या
Read Moreएक उड़ते पंछी की तरहा तन्हा पानी की लहरों जैसी हलचल वाली बहती हवा जैसी मस्त तूफानो जैसी हिम्मत वाली
Read Moreअभी भी भरा है मेरे लफ्ज़ो का खज़ाना कलम का मेरी अभी भी है आना जाना पर रूक सा गया
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