कविता

कविता : नयी सोच नया सवेरा

खुली पलक में ख्वाब बुनो,
और खुली आँख से ही देखो।
सपने चाँदनी रात में नहीं,
तप्त तपन  की किरणों में बुनो।

तपना पड़ता है सूरज की तरह,
ख्वाब पूरे यूँ ही नहीं होते।
निशा के आगोश में,
सपनों के घरौंदे नहीं होते।

आगे बढ़ो बढ़ते चलो,
कोशिश करने वाले घायल नहीं होते।
कामयाबी के शिखर  पर पहुंचने वाले,
दिल से कभी कायर नहीं होते।

जागते रहो कर्म करते रहो,
देखो न सपने बस सोते सोते।
प्रेरणा किसी को बना स्वयं तुम,
उदाहरण बन जाओ जाते जाते।

कर लो हौसलों को बुलन्द,
आएगी कामयाबी परचम लहराते।
समय को स्वर्ण सा कीमती समझो,
खर्च करो उसे डरते डरते।

जहाँ चाह नहीं वहाँ राह नहीं,
करो कामना सोते जागते।
मर न जाओ यूँ ही कहीं,
गठरी निराशा की ढोते ढोते।

अमर हुए हैं नाम जिनके,
वे भी थे इंसान हमारे जैसे।
जो लक्ष्य से कभी भटके नहीं,
किये मुकाम हासिल कैसे कैसे।

चाहें तो हम और आप,
दुनिया में क्या है जो नहीं कर सकते।
ला विचारों में बदलाव कर्म करो,
लक्ष्य करो तैयार समय के रहते।

यूँ ही नहीं ये अमोल जिन्दगी,
व्यर्थ गँवानी बस रोते रोते।
नयी सोच और नयी सुबह का,
करलो संकल्प अब हँसते हँसते।

सुचि संदीप अग्रवाल

सुचि संदीप

नाम- सुचिता अग्रवाल "सुचिसंदीप" जन्मदिन एवम् जन्मस्थान- 26 नवम्बर 1969, सुजानगढ़ (राजस्थान) पिता-स्वर्गीय शंकर लालजी ढोलासिया माता- स्वर्गीय चंदा देवी पति का नाम- श्री संदीप अग्रवाल पुत्र- रौनक अग्रवाल पुत्रियाँ-आँचल एवम यशस्वी परिचय- मैं असम प्रदेश के तिनसुकिया शहर में रहती हूँ। साहित्य संगम संस्थान", "जिज्ञासा काव्य मंच", महिला काव्य मंच, अग्रवाल रचनाकार, अदबी संगम जैसी प्रतिष्ठित शाखाओं से जुडी हुई हूँ। हिन्दी की अनेक विधाओं में कविता , गीत,भजन,दोहे, छन्द, गजल,लघुकथा आदि लिखने में रूचि रखती हूँ। "साहित्य संगम" की वंदनाधिक्षिका, 'सवेरा ई पत्रिका' की पूर्वोत्तर सम्पादिका ,संगम सुवास नारी मंच की प्रधान सेविका पद पर तथा साहित्य संगम पूर्वोत्तर शाखा की सचिव तथा महिला काव्य मंच तिनसुकिया के अध्यक्ष पद पर रहते हुए साहित्य सेवा से जुडी हुई हूँ। सम्मान पत्र- साहित्य संगम द्वारा दैनिक श्रेष्ठ रचनाकार, टिप्पणीकार, गजल गुंजन सम्मान, दैनिक श्रेष्ठ छन्द सम्मान, ऑनलाइन काव्य पाठ, साहित्य अभ्युदय, वंदे मात्रम,समीक्षाधीश,आदि सम्मान प्राप्त हुए तथा जिज्ञासा काव्य मंच द्वारा साहित्य रत्न सम्मान प्राप्त हुआ। प्रकाशित पुस्तकें- मेरे प्रथम काव्य संग्रह का नाम "दर्पण" है । दूसरा काव्य संग्रह "साहित्य मेध" तथा तीसरा काव्य संग्रह " मन की बात " है। कई पत्रिकाओं जैसे भाव स्पंदन,संगम संकल्पना,अविचल प्रवाह, साहित्य त्रिवेणी , एक पृष्ठ मेरा भी, काव्य रंगोली, साहित्यायन, साहित्य धरोहर ई पत्रिका , सवेरा ई पत्रिका,संगम समागम,समीक्षा सुधा, अविचल प्रवाह, आदित्य योगी जी पर मन की बात,गजल गुँजन आदि साझा पुस्तकों में रचनाएं प्रकाशित हुई है। साहित्य संगम संस्थान की नारी शाखा 'संगम सुवास नारी मंच' की पेशकश साझा उपन्यास "बरनाली" का प्रबंध सम्पादन करने का सुअवसर मुझे प्राप्त हुआ। ईमेल- suchisandeep2010@gmail.com

3 thoughts on “कविता : नयी सोच नया सवेरा

  • विभा रानी श्रीवास्तव

    वाह

    • सुचि संदीप

      आभार विभा जी

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