कविता
तुम तो व्यस्त हो जाते हो दुनियां के मेले मे कभी दफ्तर में तो कभीं कारोबार के झमेले मे पर
Read Moreउम्र भर तुझे ना देखे पलट के तु मेरी नज़र से उतर गया बहुत खूबसूरत था वो ख्वाब जब आंखें
Read Moreआँधी चली कतेक से, उड़े धूल आकाश आँखों में है किरकिरी, मलिन पंथ प्रकाश मलिन पंथ प्रकाश, न दिखे
Read Moreमैं चाहता हूँ इंसान ,इंसान बने छोड़ दे लड़ना – झगड़ना ईश्वर का वरदान बने l कोई भूखा भी ना
Read Moreमैं अंजान हूँ इस सफ़र में मुझे कुछ नहीं है आता तू ही बता मेरे साथी कैसे बढूँ इस डगर
Read Moreतुम अपने दु:ख से जूझो मैं अपने दु:ख से जूझूँ हताश नहीं हैं हम एक दिन तो खुशियां पाएंगे
Read Moreएक अजनबी और, कभी अपना सा, दिल की देहरी पर जो, दस्तक देता है बार बार। अजीब सी कश्मकश है,
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