इंसानियत –एक धर्म ( अष्टम भाग )
दयाल बाबू की बातें सुनकर राखी को यह अंदाजा तो हो ही गया था कि उसके ससुर को उसका फैसला
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Read Moreसघन चिकित्सा कक्ष का दरवाजा खुला और उसमें से डॉक्टर मुखर्जी बाहर निकलते हुए अपने हाथों से दस्ताने खींचते हुए
Read Moreदरोगा श्रीवास्तव ने असलम की पूरी बात ध्यान से सुनी । एक सिपाही ने उसके पुरे बयान को कलम बद्ध
Read Moreरामनगर से प्रताप गढ़ की तरफ जानेवाले राजमार्ग पर शहर से नजदीक ही उस जगह पर जहाँ रमेश और राखी
Read Moreअसलम ने सामने से आ रहे नायब दरोगा पाण्डेय जी को सलूट किया और उनसे कुछ कहने की इजाजत
Read Moreसिपाही यादव के पकड़ने के बावजूद असलम उसके काबू में नहीं आ रहा था । वह यादव को धकेल कर
Read Moreआलम की गिरफ्त से छूटने के लिए कसमसाती राखी की तरफ बढ़ते हुए मुनीर ने अपनी शंका आलम से साझा
Read Moreराखी और रमेश अपनी कार में बैठे बड़ी तेजी से अपने घर की तरफ बढे जा रहे थे । शाम
Read Moreस्कूल से छूटकर साइकिल से घर आ रहा था देवम। तभी पीछे से आती हुई कार का दरवाजा खुला और
Read Moreविनोद की मनुहार से आनंदित दरोगा दयाल ने आगे कहना शुरू किया ” विनोद जी ! सबसे पहले तो मैं
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