14 ज्ञानपरखीय क्षणिकाएँ
1. मास्टर एक तो मास्टर डिग्री ली, दूजे ‘मास्टर’ भी बना; बावजूद हम जाति-धर्म से निकले नहीं, तो हमने इतनी
Read More1. मास्टर एक तो मास्टर डिग्री ली, दूजे ‘मास्टर’ भी बना; बावजूद हम जाति-धर्म से निकले नहीं, तो हमने इतनी
Read More1. काँव-काँव और कर ही क्या सकते हैं ? फेसबुक पर पत्रिका छापकर कौन सा तीसमार खां बने हैं ?
Read More1. सुविधाकामी ‘भाग्य’ कुछ नहीं होती ! हारे को हरिनाम….. पर वफादार कौन हैं, वक्त और सुविधा के अनुसार बदलते
Read More1. चाटुकार जनता घर पर पसीने से लथपथ, डरे राजा-चाटुकार, सूनी राजपथ ! बगूले और आदमी की खोज एक है,
Read More1. हृदयग्राह्यता बीड़ी जलईले, जिगर से पिया; जिगर में बड़ी आग है ! ऐसे जिगरवाले सभी जिगरी मित्रो को ‘मित्रता
Read More1. पाश्विक वेदना मछली या दूसरे जीवों को मारकर खाने से बुद्धि अगर विकसित होती, तो तमाम मांसाहार प्राणियों की
Read More1. मन स्पर्श छूकर मेरे मन को क्या तूने क्या इशारा ? बदला यह मौसम ! क्या सच में या
Read More1. हमसफर ये मेरे हमसफर, दो बदन एक जान ! क्यों जानेजान ? आखिर ऐसा क्यों ? क्यों प्रासंगिक हो
Read More1. घर का भूला जो जहाँ सहज रहे, वहीं अच्छा है….. गुलाम नबी आजाद से त्रस्त और बच्चे तेजस्वी से
Read More1. बुलबुल चहकी सावन आया… बादल छाए… बुलबुल चहकी, फूल खिले, सब आये, तुम कब आओगी ? क्या यह आना
Read More