पराधीन भारत में अंग्रेजों की आर्यसमाजियों पर क्रूर दृष्टि के कुछ उदाहरण
पराधीन भारत में अंग्रेज पादरियों और अधिकारियों की आर्यसमाज के अनुयायियों पर कू्रर दण्डात्मक दृष्टि थी। इसके लगभग 24 उदाहरण
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Read More(31 जुलाई को मुंशी प्रेमचंद के जन्मदिवस पर विशेष रूप से प्रकाशित) मुंशी प्रेमचंद। यह नाम सुनते ही 20 वीं
Read Moreमैं कोई कवि नहीं था, पर मैंने भी एक कविता लिखी थी. कहते हैं, सच्ची कविता दिल की आवाज होती
Read Moreकाला पहाड़ बांग्लादेश। यह नाम स्मरण होते ही भारत के पूर्व में एक बड़े भूखंड का नाम स्मरण हो उठता
Read Moreसाहित्य के आकाश के एक अमिट हस्ताक्षर बने गोपालदास नीरज जी, आपको श्रद्धांजलि देने के लिए हमारे पास शायद शब्द
Read Moreहिंदी कवि सम्मेलनों से प्रसिद्धि पाने वाले हिंदी के सुप्रसिद्ध गीतकार, कवि लेखक, गोपाल दास नीरज का दिल्ली के एम्स
Read Moreवेदों के मर्मज्ञ डा. फतह सिंह का जन्म ग्राम भदंेग कंजा (पीलीभीत, उ.प्र.) में आषाढ़ पूर्णिमा 13 जुलाई, 1913 को
Read More(बंकिम चंद्र चटर्जी के जन्मदिवस 27/6/1838 पर विशेष रूप से प्रकाशित) आज बंकिम चंद्र चटर्जी का जन्मदिवस है। आप प्रसिद्द
Read Moreआज से ४३ वर्ष पूर्व आज के ही दिन कांग्रेस की तथाकथित महानतम नेत्री इन्दिरा गाँधी द्वारा देश पर इमर्जेन्सी
Read More1919 का वर्ष भारतीय राजनीति के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अंग्रेजों द्वारा ‘रौलेट एक्ट’ लागू किया गया, जिसे काला कानून
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