गँवाई ज़िंदगी जाकर बचानी चाहिए थी – मुहम्मद आसिफ अली
गँवाई ज़िंदगी जाकर बचानी चाहिए थी बुढ़ापे के लिए मुझको जवानी चाहिए थी समंदर भी यहाँ तूफ़ान से डरता नहीं
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Read Moreमैं माफ़ी चाहता हूँ, मुनव्वर राणा साहब से, क्योंकि इस ग़ज़ल का रदीफ़ और काफ़िया उन्हीं की एक ग़ज़ल से
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