कविता सुनील गुप्ता 'श्वेत' 02/10/202021/10/2020 अत्याचार, कविता, गज़ल, समसामयिक, हाथरस हाथरस… परिस्थिति वैसी की वैसी, जस की तस, दिल्ली हो, बेंगलुरु या हो #हाथरस. #सपा, #बसपा, #कांग्रेस या हो #भाजपा, Read More