अशोक बाबू माहौर की कविता

कविता

पतली गली में

शहर कीपतली गली,बड़ी उदासडरावनी,लोग शब्दहीन बेचैनभ्रम पालेमकान कीखिड़की सेमुँह निकाले झाँकते इधर -उधर! पतली गली मेंएक दुकानदुकान पर बैठापतला इंसानसंभाल

Read More
क्षणिका

क्षणिकाएं

1) कड़ी धूप कड़ी धूप उतरी गर्मी सिर पर भारी पसीने से भीगे लोग ढूँढते छाया नीम, बरगद, पीपल की,

Read More
कवितापद्य साहित्य

अभी – अभी निकली है

अभी अभी स्नानकर निकली है मधुभाषी चिड़िया। रेत पर बैठी सेक रही है पर अपने धूप में, उतावली सी हो

Read More