मुक्तक/दोहा *कालीपद प्रसाद 17/05/201604/06/2016 आध्यात्मिक दोहे कोरी आस्था मिलाकर, भ्रम का बुना जाल पेट अपना भरते हैं, बेच नाम गोपाल |1| पाप पुन्य का भय दिखा, Read More
कवितापद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 05/05/2015 आध्यात्मिक, काल-कर्कट, वक्त वही होता है जो निर्णायक चाहता है कुटिल काल-कर्कट ने कुतर कुतर काटकर हाड़-माँस के इस ढाँचे को बनाया खोखला काया को l एक खंडहर जर्जर घर,प्रकाम्पित Read More