गीतिका/ग़ज़ल *कालीपद प्रसाद 12/05/201512/05/2015 इंसाफ उम्र, जिंदगी, हक़ हक़–ओ-इन्साफ़ क़ाज़ी भी है मजबूर , क़ातिल को बचाना है एक तरफ हक़ हैं , दूसरे हुज़ूरे आला है | Read More