गीतिका/ग़ज़ल *मदन मोहन सक्सेना 09/05/201710/05/2017 उम्र भर, जिस्म ग़ज़ल : उम्र भर जिसको अपना मैं कहता रहा आँख से अब नहीं दिख रहा है जहाँ, आज क्या हो रहा है मेरे संग यहाँ माँ का रोना नहीं Read More