कुण्डली/छंद राज किशोर मिश्र 'राज' 05/06/201611/06/2016 कबीर छन्द कबीर छन्द कबीर छन्द [16+11] =27 अंत मे चरनांत दीर्घ-लघु [2+1] आँगन मे चहु ओर फिरे हरि- हिरना जैसी प्रीति कस्तूरी मृग नाभि बसत Read More