चंद्रेश छतलानी

पुस्तक समीक्षा

परिंदों को मिलेगी मंज़िल यक़ीनन | समीक्षा: परिंदे पत्रिका “लघुकथा विशेषांक”

पत्रिका : परिंदे (लघुकथा केन्द्रित अंक) फरवरी-मार्च’19 अतिथि सम्पादक : कृष्ण मनु संपादक : डॉ. शिवदान सिंह भदौरिया 79-ए, दिलशाद

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लघुकथा

मेरी याद

रोज़ की तरह ही वह बूढा व्यक्ति किताबों की दुकान पर आया, आज के सारे समाचार पत्र खरीदे और वहीँ

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लघुकथा

मेच फिक्सिंग

“सबूतों और गवाहों के बयानों से यह सिद्ध हो चुका है कि वादी द्वारा की गयी ‘मेच फिक्सिंग’ की शिकायत

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लघुकथा

निर्भर आज़ादी

देश के स्वाधीनता दिवस पर एक नेता अपने भाषण के बाद कबूतरों को खुले आसमान में छोड़ रहा था। उसने

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लघुकथा

शह की संतान

तेज़ चाल से चलते हुए काउंसलर और डॉक्टर दोनों ही लगभग एक साथ बाल सुधारगृह के कमरे में पहुंचे। वहां

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