मुक्तक/दोहा राज किशोर मिश्र 'राज' 16/05/201617/05/2016 दोहा मुक्तक मुहावरों मे मुक्तक बजरंगी सा वीर नहीं जो छू ले सूरज को संपाती के पर जल जाते छूते सूरज को कल्पना करना सहज Read More