मुक्तक/दोहा राज किशोर मिश्र 'राज' 22/06/201627/06/2016 बरसात के दोहे बरसात के दोहे बारह मे से चार को, हमने दिया घटाय शेष शून्य है दो गुना, जीवित रहा न जाय बिना नीर जीवन Read More