वफ़ा के दायरे
“बख्श दे ख़ता, गर ख़ता की सजा है ये जिंदगी। दुआ या बददुआ, अब सही नहीं जाती ये जिंदगी।” खाने
Read More“बख्श दे ख़ता, गर ख़ता की सजा है ये जिंदगी। दुआ या बददुआ, अब सही नहीं जाती ये जिंदगी।” खाने
Read Moreहम अपनी आज़ादी का जश्न, बोलो अब कैसे मनाएँ अमर शहीदों के बलिदान की, गाथा किसको सुनाएँ ? भूखे रहे,
Read More