मुक्तक/दोहा राज किशोर मिश्र 'राज' 11/10/201529/10/2015 मन-तलवार तलवार- मन क़लम की नोक से पैनी नहीं तलवार होती है वतन के प्रेम की मैना यही अखवार होती है सनम के Read More