गीतिका/ग़ज़लपद्य साहित्य *कालीपद प्रसाद 03/08/2016 जिंदगी, मानुषिकता, मुफलिसी ग़ज़ल जिंदगी क्या है ज़रा नज़रे उठा कर देखो अश्क बारी बंद कर चश्में सुखा कर देखो | जिंदगी भर लालसा Read More