मुक्तक/दोहा राज किशोर मिश्र 'राज' 07/12/2016 माया ममता संगिनी माया ममता संगिनी माया ममता संगिनी, मोह हिया अंगार । कामी क्रोधी लालची, कब उतरे हैं पार । दौलत से अंधे हुए, कौरव Read More