मुक्तक/दोहा राज किशोर मिश्र 'राज' 19/05/201516/05/2015 मुक्तक =कृषक मुक्तक : कृषक हे कृषक तेरा पसीना लहू बनकर झूमता है, शक्ति , शौर्य, प्रेम से हर जिगर को चूमता है रात -दिन Read More