फिर वही क़िस्सा सुनाना तो चाहिए – मुहम्मद आसिफ अली
फिर वही क़िस्सा सुनाना तो चाहिए फिर वही सपना सजाना तो चाहिए यूँ मशक़्क़त इश्क़ में करनी चाहिए जाम नज़रों
Read Moreफिर वही क़िस्सा सुनाना तो चाहिए फिर वही सपना सजाना तो चाहिए यूँ मशक़्क़त इश्क़ में करनी चाहिए जाम नज़रों
Read Moreगँवाई ज़िंदगी जाकर बचानी चाहिए थी बुढ़ापे के लिए मुझको जवानी चाहिए थी समंदर भी यहाँ तूफ़ान से डरता नहीं
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