समाज

लघुकथासामाजिक

बस की खिड़की

एक बार कुछ लोग एक बस से सफर कर रहे थे। उसी रास्ते से एक मंत्री जी भी जा रहे

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सामाजिक

लोकतंत्र में बढ़ता बाबा तंत्र

साधू संतों को पूजने की परिपाटी हमारे देश में बहुत पुरानी है। पहले चतुर्मास में साधू सन्यासी गांव के बाहर

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सामाजिक

लेख– वर्तमान सिनेमा का बदलता ट्रेंड

साहित्य समाज का दर्पण होता है। फिल्में हमारे समाज के बीते हुए कल और वर्तमान से रूबरू कराती है। आज

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