कलयुग का भारत
कलयुग के भारत की हैं बात निराली ईमानदारी यहाँ कुछ ने ही जानी। माँ-बाप की कुछ लोग कद्र नहीं करते
Read Moreकलयुग के भारत की हैं बात निराली ईमानदारी यहाँ कुछ ने ही जानी। माँ-बाप की कुछ लोग कद्र नहीं करते
Read Moreमुझ पर एक अहसान जताओ मुझ पर तुम कोई जुर्म न ढ़हाओ मेरे इस अस्तित्व को कृपया कर तुम ही
Read Moreहर पल, हर घड़ी घुट-घुटकर जीते लोग यहाँ। सूखा, बाढ़, भुखमरी से हर साल जूझते लोग यहाँ। देश की बेटियों
Read Moreदो दिनों से लगातार पानी बरस रहा था। चारों तरफ पानी ने त्राहि त्राहि मचा रखी थी। घर में पानी
Read Moreविभूति बाबू के रिटायरमेंट को करीब छह महीने बीत गए थे। उनके कमरे में चारों तरफ साहित्यिक किताबें रखी थीं।
Read Moreआलाप और रागिनी छोटे से शहर के बड़े गायक थे। दोनों की म्यूज़िकल नाइट्स शहर में धमाल मचा रही थीं।
Read Moreगुप्ता जी अपने मित्र के प्रश्न की प्रतीक्षा कर रहे थे। वह जानते थे कि एक अर्से के बाद मिले
Read More