” बदन से राख झड़ती है अभी से “
बहुत उकता गया जब शायरी से लिपट कर रो पड़ा मैं ज़िन्दगी से अभी कुछ दूर है शमशान लेकिन बदन
Read Moreबहुत उकता गया जब शायरी से लिपट कर रो पड़ा मैं ज़िन्दगी से अभी कुछ दूर है शमशान लेकिन बदन
Read Moreमैं भी गुम माज़ी में था दरिया भी जल्दी में था एक बला का शोरो-गुल मेरी ख़ामोशी में था भर
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