कविता

मेरे हमनसी मेरे दिलबर अपने प्यार का पता दे

मेरे हमनसी मेरे दिलबर अपने प्यार का पता दे
तू दूर क्यों है हमसे इतना जरा पता दे
तेरे प्यार के ही खातिर ,दुनियाँ बसायी मैनें
तेरे प्यार को ही पाकर महफ़िल सजाई मैनें

जितने भी गम थे मेरे उनको मैं भूलता था
मेरी दिलरुबा मेरे दिलबर तुमको ही पूजता था
मंज़ूर क्या खुदा को ये जान मैं न पाता
जो जान से है प्यारा बह दूर होता जाता

मेरे दिल की बस्ती सुनी तू अब तो दिल में आ जा
तेरी चाहत में जीयें हम तू छोड़कर अब न जा
सूरज से है तू सुन्दर ,चंदा से दिखती प्यारी
दुनियाँ में जितने दीखते उन सबमें तू है न्यारी

तुम से दूर रहकर दिलवर जीते जी मर रहे हैं
क्या खता है मेरी ये सोच सोच डर रहे हैं
दुनियाँ है मेरी सूनी दिल में भी हैं अँधेरा
जो कुछ भी कल था अपना बह अब रहा न मेरा

मेरे हमनसी मेरे दिलबर अपने प्यार का पता दे
तू दूर क्यों है हमसे इतना जरा पता दे

प्रस्तुति :
मदन मोहन सक्सेना

*मदन मोहन सक्सेना

जीबन परिचय : नाम: मदन मोहन सक्सेना पिता का नाम: श्री अम्बिका प्रसाद सक्सेना जन्म स्थान: शाहजहांपुर .उत्तर प्रदेश। शिक्षा: बिज्ञान स्नातक . उपाधि सिविल अभियांत्रिकी . बर्तमान पद: सरकारी अधिकारी केंद्र सरकार। देश की प्रमुख और बिभाग की बिभिन्न पत्रिकाओं में मेरी ग़ज़ल,गीत लेख प्रकाशित होते रहें हैं।बर्तमान में मैं केंद्र सरकार में एक सरकारी अधिकारी हूँ प्रकाशित पुस्तक: १. शब्द सम्बाद २. कबिता अनबरत १ ३. काब्य गाथा प्रकाशधीन पुस्तक: मेरी प्रचलित गज़लें मेरी ब्लॉग की सूचि निम्न्बत है: http://madan-saxena.blogspot.in/ http://mmsaxena.blogspot.in/ http://madanmohansaxena.blogspot.in/ http://www.hindisahitya.org/category/poet-madan-mohan-saxena/ http://madansbarc.jagranjunction.com/wp-admin/?c=1 http://www.catchmypost.com/Manage-my-own-blog.html मेरा इ मेल पता: [email protected] ,[email protected]

One thought on “मेरे हमनसी मेरे दिलबर अपने प्यार का पता दे

  • विजय कुमार सिंघल

    Achchi kavita

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