नई सुबह।
एक जीवंत
सुबह,
विश्वास से
भरी हुयी,
जल मेँ
चमकती
सुनहरी किरणोँ
सी स्वर्णिम
स्वप्नोँ को सँवारने
आई
नई सुबह!
धुँधलाहट
कम करके
कण कण को
प्रकाशित करती,
नई सुबह!
वन मेँ
बहती चंदन की
सुगंध को चारोँ
ओर फैलाती
पवन की
नई सुबह।
कहीँ अंबर मेँ
फैले बादलोँ को
उडाकर उसपार ले
जाती
नई सुबह।
अंधेरा छट गया
तिमिर घट गया
हर मन के
जन जन के
कमल को खिलाती
नई सुबह।।
___सौरभ कुमार दुबे
बहुत खूब !