हिंदू क्यूँ पूजता है साई बाबा को?
मित्रो , आपने मेरे पिछले लेख “साईं बाबा : कुछ शंकाएं” में पढ़ा कि किस तरह हिन्दू अपने धर्म ग्रंथो में वर्णित ईश्वर, भगवान, देवी -देवताओं को छोड़कर आज कल साईं भक्त बनता जा रहा है … हर गली हर चौराहे पर साईं मंदिर मिल जायेगा जहाँ साईं के हिन्दू अंधभक्तों की भीड़ जमा रहती है |
मैं अपने पहले लेख में बता चुका हूँ कि किस तरह साईं के जिन्दा रहते भारत में सूखा -बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाए आई जिनमें लाखो लोग मर गए | साईं के रहते हुए देश अंग्रेजो का गुलाम था और लाखो लोग आज़ादी की जंग में मारे गए ….साईं ने कोई चमत्कार नहीं किया |
फिर भी यदि कोई साईं भक्त हिन्दू मेरी बातो को गलत साबित करता है और अब भी अंध भक्ति का शिकार है तो मैं उससे निम्न लिखित प्रश्नों के उत्तर चाहूँगा …..मेरा वादा है की यदि मैं गलत साबित हो गया तो आगे से साईं के बारे में लिखना छोड़ दूंगा |
1 – साई को अगर ईश्वर मान बैठे हो अथवा ईश्वर का अवतार मान बैठे हो तो क्यो? आप हिन्दू है तो सनातन संस्कृति के किसी भी धर्मग्रंथ में साई महाराज का नाम तक नहीं है।तो धर्मग्रंथो को झूठा साबित करते हुये किस आधार पर साई को भगवान मान लिया ? और धर्मग्रंथ कहते है कि कलयुग में दो अवतार होने है ….एक भगवान बुद्ध का हो चुका दूसरा कल्कि नाम से अंतिम चरण में होगा….यानि हिन्दू धर्म में साईं का कहीं वर्णन नहीं फिर भी देश भर में साईं पूजन का पाखंड क्यूँ ?।
2 – अगर साई को संत मानकर पूजा करते हो तो क्यो? क्या जो सिर्फ अच्छा उपदेश दे दे या कुछ चमत्कार दिखा दे वो संत हो जाता है?साई महाराज कभी गोहत्या पर बोले?….कभी हिन्दू धर्म में फैली जातिवाद को दूर करने की कोशिस की ?, साई महाराज ने उस समय उपस्थित कौन सी सामाजिक बुराई को खत्म किया या करने का प्रयास किया?ये तो संत का सबसे बड़ा कर्तव्य होता है । फिर भी क्या हिन्दू धर्म में संतों की कमी थी जो साईं को पूजने लगे …..साईं तो रैदास जी तक के सामने कहीं नहीं टिकते …रैदास जी ने तो फिर भी कई सामाजिक बुराईयाँ ख़त्म करने का प्रयास किया ?
3- अगर सिर्फ दूसरों से सुनकर साई के भक्त बन गए हो तो क्यो? क्या अपने धर्मग्रंथो पर या अपने भगवान पर विश्वास नहीं रहा ? क्या तुमने अपनी बुद्धि से साईं की असलियत परखने की कभी कोशिश की ?
4 – अगर मनोकामना पूर्ति के लिए साई के भक्त बन गए हो तो तुम्हारी कौन सी ऐसी मनोकामना है जो कि तुम्हारे भगवान राम, कृष्ण, दुर्गा, शिव सहित ३३ कोटि देवता पूरी नहीं कर सकते सिर्फ साई ही कर सकता है? तुम्हारी ऐसी कौन सी मनोकामना है जो कि वैष्णो देवी, या हरिद्वार या वृन्दावन, या काशी या बाला जी में शीश झुकाने से पूर्ण नहीं होगी … वो सिर्फ शिरडी जाकर माथा टेकने से ही पूरी होगी?
5 – तुम्हारे किस पूर्वज ने साईं को माना था ? फिर तुम क्यो सिर्फ प्रचार को सुनकर, बुद्धि को भ्रम में डालकर साई साई चिल्लाने लगे हो?
6 – कुछ भी हो मुस्लिम अपने धर्म के पक्के होते है …. अल्लाह के अलावा किसी और की ओर मुंह भी नहीं करते …..जब कोई अपना बाप नहीं बदल सकता ….अथवा अपने बाप की जगह पर किसी और को नहीं देख सकता तो तुम साई को अपने भगवान की जगह पर देखकर क्यो दुखी या क्रोधित नहीं होते ? मुस्लिम साई के चक्कर में नहीं पड़ते … धर्म के पक्के है … सिर्फ अल्लाह … हिन्दू प्रजाति हमेशा मूर्ख क्यो बनती है?
8 -अगर अपने को सनातन धर्म का अनुयायी कहते हो तो फिर सनातन में तो साईं का कोई स्थान नहीं … तुम्हारा साईं जीवन भर किसी मंदिर में नहीं गया या यूँ कहे कि जिन पंडों ने साई को जीवित रहते मलेक्ष कह कर मंदिर में घुसने तक नही दिया, उनके मरने के बाद मोटी कमाई देख कर उनके मदिर बनाना शुरू कर दिया| सारी जिन्दगी एक मस्जिद में काट दी फिर भी साईं को पूज के तुम धर्मनिरपेक्ष होने का पाखंड करते फिरते हो और साईं के सहारे अपनी कमाई वाली दुकान ( साईं मंदिर) चलाने वालो पांडो के फैलाए जाल में उलझते जा रहे हो ?
9 – आप खुद को राम या कृष्ण या शिव भक्त कहलाने में कम गौरव महसूस करते है क्या जो साई भक्त होने का बिल्ला टाँगे फिरते हो …. क्या राम और कृष्ण से प्रेम का क्षय हो गया है ?
10 – ॐ साई राम … ॐ हमेशा मंत्रो से पहले ही लगाया जाता है अथवा ईश्वर के नाम से पहले …..साई के नाम के पहले ॐ लगाने का अधिकार कहा से पाया? जय श्री राम की जगह “जय साई राम” …. श्री मे शक्ति माता निहित है ….श्री शक्तिरूपेण शब्द है ……. जो कि अक्सर भगवान जी के नाम के साथ संयुक्त किया जाता है ……. तो जय श्री राम में से …..श्री तत्व को हटाकर ……साई लिख देने में तुम्हें गौरव महसूस होना चाहिए या शर्म आनी चाहिये?
क्या अब भी कोई साईं भक्त अपनी बुद्धि से इन प्रश्नों के बारे में सोचेगा या फिरसे उसी भेड़ चाल में शामिल होके अंधभक्ति का शिकार होता रहेगा ?
आपने बहुत सही प्रश्न उठाये हैं. किसी साईं भक्त के पास इन सवालों का उत्तर नहीं है. अगर साईं बाबा को अच्छा संत माँ भी लिया जाए तो उनकी शिक्षाओं पर चलना चाहिए, अगर उन्होंने कोई अच्छी शिक्षा दी है. पर उनकी शिक्षाओं की बात कोई नहीं करता, बस मूर्तियों पर चढ़ावा चढ़ाते हैं.
जो लोग कहते हैं कि संत भगवान् के बराबर होते हैं, उनको यह बताना चाहिए कि साईं बाबा के आलावा किस संत को भगवान् मानकर पूजा जाता है? मेरी जानकारी में ऐसा कोई संत नहीं है. अगर कोई खुद को पुज्वता है तो वह संत नहीं हो सकता, धूर्त है.