धुन वुन मैं क्या जानू रहे जानू तो जानू बस भावो को शब्द देना जानू रे
गिरने वालो जरा संभल जाओ
ऊँचाई छूनी गर बदल जाओ
मिलते ख़ाक में ना लगेगी देर
पुन्य रस्ते पर जरा टहल जाओ
हासिल ना होगा नफरत से कुछ
प्यार मिलता है गर बहल जाओ
शौक पालना है तुम्हें तो खूब पालो
जिन्दगी में कर ना खलल जाओ
याद आता रहे तू हमे बदस्तूर
मुहब्बत की कर ऐसी पहल जाओ
सविता मिश्रा
अच्छी ग़ज़ल !
मज़ा आ गिया , कविता बहुत अच्छी .