दोहे : माँ- ममता और दुलार
जगदम्बा के रूप में, रहती है हर ठाँव।
माँ के आँचल में सदा, होती सुख की छाँव।१।
ममता का जिसकी नहीं, होता कोई अन्त।
माँ के ही दिल में बसा, करुणा-प्यार अनन्त।२।
मतलब का संसार है, मतलब के उपहार।
लेकिन दुनिया में नहीं, माता जैसा प्यार।३।
लालन-पालन में दिया, ममता और दुलार।
बोली-भाषा को सिखा, माँ करती उपकार।४।
होता है सन्तान का, माता का सम्वाद।
माता को करते सभी, दुख आने पर याद।५।
नारायण से भी बड़ी, नारी की है जात।
सृजन कर रही सृष्टि का, इसीलिए है मात।६।
पत्नी, पुत्री, बहन का, मात-पिता का प्यार।
उनको ही मिलता सदा, जिनका हृदय उदार।७।
जिसके सिर पर हो सदा, माता का आशीष।
वो ही तो कहलायगा, वाणी का वागीश।८।
माता केवल एक है, गुणवाची हैं “रूप”।
माता की सन्तान हैं, रंक-भिखारी-भूप।९।
माता को करते सभी दुःख अने पर याद, यह बात सही है. अपने दोहे में कम शब्दों में ज्यादा बात कह दी है
बहुत अच्छे दोहे ! माँ की ममता की समता कोई नहीं कर सकता.