कुप्रचार और वास्तविकता
यह कोई छिपी हुई बात नहीं है कि भारत का सेकुलर मीडिया हद दर्जे का मक्कार है और राष्ट्रवादी संगठनों को बदनाम करने का मौका ढूंढ़ता रहता है. इसका एक नमूना कल नव भारत टाइम्स ने दिया. नीचे दिए गए लिंक को देखिये.
http://navbharattimes.indiatimes.com/state/madhya-pradesh/bhopal/indore/muslim-mla-speaks-for-cow-conservation-bjp-opposed-it/articleshow/38317348.cms
इस समाचार से लगता है कि एक कांग्रेसी विधायक गौरक्षा करना चाहता है जबकि भाजपा के विधायक गौहत्या का समर्थन कर रहे हैं. लेकिन यह समाचार भ्रामक है. उस विधायक ने गौरक्षा की कोई बात नहीं की है. गौहत्या पर तो राज्य में पहले से ही रोक लगी हुई है. वह विधायक महोदय तो प्राकृतिक रूप से मृत गायों के अंगों की बिक्री का विरोध कर रहे हैं.
मृत पशुओं की खाल, हड्डी आदि से बहुत लोगों का रोजगार चलता है, खाद और दवाएं बनती हैं. इसलिए भाजपा को इस बात का विरोध करना पड रहा है. यदि प्राकृतिक रूप से मृत पशुओं को गाड़ना या जलाना हो तो उसके लिए संसाधन कहाँ से आयेंगे? क्या उनके लिए कब्रिस्तान या श्मशान बनाये जायेंगे? मृत पशुओं के शरीर का कोई अंग किसी उपयोग में आता है तो बुरा क्या है? बहुत से लोग अस्पतालों में अंग दान करते हैं या पूरा शरीर दान करते हैं. इसमें कोई बुराई नहीं है. इसका विरोध करना सरासर मूर्खता है.
बहुत से राष्ट्रवादी कार्यकर्त्ता इस समाचार से भ्रमित हो गए और तरह-तरह की टिप्पणियाँ करने लगे. यह ठीक नहीं है. भावुकता में बहने से पहले हमें व्यावहारिकता का भी विचार करना चाहिए. कांग्रेस का गौरक्षा से कोई लेना-देना नहीं है, वरना पूरे देश में गौहत्या पर प्रतिबन्ध लगाया जाता. कई कांग्रेस शासित राज्यों में खुलेआम गौहत्या होती है. कांग्रेस ने उसे रोकने के लिए क्या किया? वास्तव में इस कांग्रेसी मुस्लिम विधायक का संकल्प एक अनुसूचित जाति विशेष के लोगों को भाजपा से दूर करने की चाल है. राष्ट्रवादी कार्यकर्ताओं को इस चाल में नहीं फंसना चाहिए.
आपने सही लिखा है. सेकुलर मीडिया प्रायः ऐसा ही करता है.
आभार. इसी कारण तो उसकी विश्वसनीयता कम है.
मैं आपकी बात से सहमत हूँ. तथाकथित सेकुलर मीडिया बहुत कमीना है.
धन्यवाद.
आपने सही बात कही है. मीडिया बहुत मकार है. मरे हुए पशुओं के अंगो का कोई भी उपयोग सही है.
समर्थन के लिए धन्यवाद.