कविता

तुम मुझको जीवन देती हो

बंधन, चिंतन, अनुरंजन, तुम भावों को कल्पन देती हो
समझ ना पाईं अब तक तुम, तुम मुझको जीवन देती हो

आशा, जिज्ञासा, अभिलाषा, मुझको परिवर्तन देती हो
समझ ना पाईं अब तक तुम, तुम मुझको जीवन देती हो

सुमति, कुमति, संतति प्रियवर, तुम नव दर्शन देती हो
समझ ना पाईं अब तक तुम, तुम मुझको जीवन देती हो

संवेदन, स्पंदन, तर्षण, तुम मुझको अभिनन्दन देती हो
समझ ना पाईं अब तक तुम, तुम मुझको जीवन देती हो

काश, आस, विश्वाश , प्रिये तुम बस आश्वासन देती हो
समझ ना पाईं अब तक तुम, तुम मुझको जीवन देती हो

__________________________अभिवृत

13 thoughts on “तुम मुझको जीवन देती हो

  • डॉ ज्योत्स्ना शर्मा

    बहुत सुन्दर !

  • सविता मिश्रा

    bahut sundar

  • धनंजय सिंह

    आपकी कविता पढ़कर मन खुश हो गया.

  • नीलेश गुप्ता

    कविता बढ़िया है.

  • जगदीश सोनकर

    आपकी कविता तो अच्छी है, पर कई शब्दों का अर्थ समझ में नहीं आया, जैसे अनुरंजन, तर्षण, स्पंदन, संवेदन आदि. इनकी जगह सरल प्रचलित शब्द होते तो ज्यादा बेहतर होता.

    • आपके सुझाव के लिए आपका हार्दिक आभार जगदीश जी ….मैं कठिन शब्दों के अर्थ भी लिख सकता था कविता से साथ पर ये उसकी नेसर्गिकता के साथ अन्याय होता ….कुछ समझने के लिए कुछ प्रयास भी करना चाहिए मेरे विचार से …नहीं तो सरलता के कारण हिंदी अपना मूल स्वाभाव ही खो देगी

      • विजय कुमार सिंघल

        मैं जगदीश जी के सुझाव से सहमत हूँ. हर पाठक का हिंदी भाषा ज्ञान उतना नहीं होता कि कठिन शब्दों को भी समझ सके. यदि आप अपनी कविता को सभी तक पहुँचाना चाहते हैं, तो भाषा का ध्यान और शब्दों के चयन में सावधानी रखनी होगी. वैसे आपकी इच्छा.

  • विजय कुमार सिंघल

    वाह ! वाह ! बहुत सुन्दर प्रेम कविता.

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