तांका
1
नूर की बूँदें
उदासी छीन रही
इक आसरा
तरुणी हुई धरा
अनुर्वरा ना रही
======
2
बूँदों की धुन
झींगुर सुर संग
कील निकाले
पेंगो संग सपने
ऊँची उड़ान चढ़े
विभा रानी श्रीवास्तव
1
नूर की बूँदें
उदासी छीन रही
इक आसरा
तरुणी हुई धरा
अनुर्वरा ना रही
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2
बूँदों की धुन
झींगुर सुर संग
कील निकाले
पेंगो संग सपने
ऊँची उड़ान चढ़े
विभा रानी श्रीवास्तव
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तांका पसंद आये. कठिन शब्दों से बचा जाये तो बेहतर.
आगे से कोशिश रहेगी ….. शब्द सीमित रहने से ये गलती हो जाति है