मुक्तक
कल की बात है ====
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आलता लगाती सांझ तरुणी निकली
झिर्री से झाँकती तारों की टोली निकली
सूर्य सूर्यमुखी अपनी दिशा बदलते रहे
रात रानी नशीली खिलखिलाती निकली
विभा
कल की बात है ====
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आलता लगाती सांझ तरुणी निकली
झिर्री से झाँकती तारों की टोली निकली
सूर्य सूर्यमुखी अपनी दिशा बदलते रहे
रात रानी नशीली खिलखिलाती निकली
विभा
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मुक्तक समझ में कम आया है.
अच्छा मुक्तक.