सच्चा हिँदुस्तानी
अधर्मियोँ के विनाश को उठती जो नही जवानी है,
उनके रक्तोँ मेँ नहीँ उबाल है केवल ठंडा पानी है,
कायर हैँ वो जो अनशन कर कर मरते हैँ
जो भारत माँ पर मर मिटता हो सच्चा हिँदूस्तानी है।
जो शमशीर उठा चलते हैँ रणभूमि की ओर,
जिनके हृदयोँ मेँ है ज्वाला वंदेमातरम नाद विभोर,
जिनके पथ पर शूल भी बन जाते हैँ जैसे फूल,
और विजयश्री हो जैसे इनके ही चरणोँ की धूल,
उन वीरोँ का वंदन भी करती जग कल्याणी है,
जो भारत माँ पर मर मिटता हो सच्चा हिँदुस्तानी है।।
जय हिँद
वंदेमातरम्
सौरभ कुमार दुबे
आप दोनों को धन्यवाद
देशभक्तिपूर्ण प्रेरक कविता.
अच्छी कविता है सौरव जी .