दूसरे किनारेपर………..
समंदर में उठती
कुछ तरंगें
मानों करती हैं प्रयास
एक किनारे का संदेश
दूसरे तक पहुँचाने का
सफल भी होती हैं कई बार
सह-संबंधों के माध्यम से
किन्तु टूट जाती हैं अधिकतर
बीच में कहीं
तुम भी तो खड़े हो
उसी दूसरे किनारेपर
संभवतः किसी जन्म में
तुम्हें सताया होगा
तुम्हारा दिल दुखाया होगा
दंड स्वरूप बाँध दिया
विधना ने वियोग के मानो
अटूट से पाश में मुझे
अच्छी प्रस्तुति
अच्छी कविता।