दो क्षणिकाएं
1
लोग यहाँ अलग अलग दशा में बंटे हुए हैं
कुछ गरीब कुछ अमीरी लिए हुए है ।
हताशा कामयाबी की मारामारी
कुछ हुए कामयाब
कुछ जूझते हुए है
2
ईश्वर की अनुकम्पा से मिला रत्न एक भारी।
स्वस्थ गुणी इंसान बने यही कामना हमारी।
था नसीब में रत्न अनमोल
समय था विरुद्ध
जननी दृढ विस्वास के आगे विधना हारी ।
गहरा अर्थ लिए अच्छी क्षणिकाएं !
आदरणीय विजय कुमार भाई जी प्रेरक टिप्पणी के लिए आभार