लघुकथा

बिटिया भाग्य

“तुम रानी बनकर राज करोगी जब तुम किसी के घर की शोभा बनोगी |”

“तुम जिस घर में जाओगी उस घर का बन्टाधार हो जायेगा |”

”तुम बहुत भाग्यशाली हो| एकदम गुलाब के फुल की तरह सुवासित हो, जब तुम पैदा हुई ना, तो तेरे बाप को अपने व्यापार में बहुत बड़ा आर्डर मिला  और हम उतरोतर तरक्की करते गये |”

“तुम अभागी हो| उस कांटे की तरह जो शूल बनकर चुभता है | तुम्हारे जन्म के दिन ही तुम्हारे बाप का काम-धन्धा सब चौपट हो गया | हम रोटी को भी मोहताज हो गये थे .”

धन और सम्पन्नता लडकी के भाग्य से कब और कैसे जुड़ गया? अर्थ को लडकी से जोड़कर इतना जहर क्यों उगला जा रहा है? लडकी उदास बैठी सोच रही है.

शान्ति पुरोहित

निज आनंद के लिए लिखती हूँ जो भी शब्द गढ़ लेती हूँ कागज पर उतार कर आपके समक्ष रख देती हूँ

3 thoughts on “बिटिया भाग्य

  • विजय कुमार सिंघल

    व्यापार में नफा-नुकसान होना साधारण बात है. बच्चे भी रोज पैदा होते रहते हैं. किसी के जन्म से किसी घटना को जोड़कर देखना मूर्खता और अन्धविश्वास के सिवा कुछ नहीं है.
    इस लघु कथा में अच्छा संदेश दिया गया है.

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    शान्ति बहन , आप समाज की बुराइओं को अछे ढंग से पेश करती हैं . लड़की को हम ने किस्मत से जोड़ दिया है . पैदा होते ही अगर फैदा हो जाए तो किस्मत वाली अगर नुक्सान हो जाए तो मनहूस . कियों ???? इस सवाल का जवाब मुझे अब तक नहीं मिल पाया . एक तरफ तो हम अपनी पुरातन सभिअता की डींगें मारते रहते हैं , रिशिओं मुनिओं के गुण गाएनं करते नहीं थकते . जितने ज़ुल्म इस्त्री और दलित पर हमारे देश में ढाए गए हैं किसी भी देश में नहीं ढाए गए . इंग्लैण्ड में दलित मज़े से रहते हैं , अब तो नई जेनरेशन ऊंची जेनरेशन के लड़के लड़किओं से शादी भी करने लगे हैं और लोग एक्सेप्ट करने लगे हैं लेकिन भारत वहीँ खड़ा है . यहाँ सिर्फ नाम के दलित हैं , काम से नहीं . दलितों की फैक्ट्रीओं में ऊंची जात कहाने वाले लोग काम कर रहे हैं . लड़की को बराबर के हक हैं , यूनिवर्सिटी में पड़ती हैं , अच्छी नौक्रिआन करती हैं लेकिन अफ़सोस भारत अभी भी वैदिक काल में जी रहा है .

    • शान्ति पुरोहित

      आदरणीय गुरमेल भाई साहब आपने बिलकुल सही विश्लेष्ण किया है आपकी स्नेहिल और प्रेरक टिप्पणी से हौसला लिखने का और बढ़ता है ….आभार आपका इसी तरह आगे भी प्रेरित करते रहे …..सादर

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