कहानी

विभा की कहानी ….. विभा की लेखनी …..

इस बार मुजफ्फरपुर गई तो मेरी देवरानी बोली :-
दीदी ,विभा लौट आई हैं और अपने घर में ही रह रही हैं …..

मुजफ्फरपुर के आम गोला में पड़ाव पोखर के पास
श्री रामचंद्र सिंह के मकान में हमारा परिवार
1982 से 1995 तक किरायेदार के रूप में रहा
1982 से 1988 तक मैं अपने ससुर जी के साथ रक्सौल रही
लेकिन मेरे पति , मेरे दोनों देवर ,ननद और एक देवरानी वहाँ रहते थे
एक देवर और ननद की तब शादी नहीं हुई थी
मेरा वहाँ अक्सर आना -जाना लगा रहता था
जब अगर कभी जाड़े में आती वहाँ तो विभा से जरुर मुलाकात करती
लालच रहता ,स्वेटर की नए नए नमूनो की ,
क्यूँ कि विभा स्वेटर बहुत अच्छा अच्छा बनाती थी ,
वो स्वेटर बना बाज़ार में बेचने के लिए भेजा करती थी
श्री रामचंद्र सिंह के एकलौते पुत्र दामोदर सिंह की पत्नी विभा सिंह.
वृद्ध सास-ससुर की लाड़ली बहु थी
पति की जान उनमें ही बसती ,दामोदर भैया उन्हें बहुत प्यार करते थे
और प्यारे प्यारे तीन बेटों की माँ थी …
घर में पैसो की कोई कमी नहीं थी
गांव में अच्छी खेती का मनी आता था
ससुर का जमा किया बहुत पैसा था
पति का शराब का दुकान थी ,
जो बहुत अच्छी आमदनी देती थी
उनके तीनो बच्चें हमें भाभी कहते
हम उन बच्चों की दादी को दादी कहते
लेकिन विभा को दीदी कहते थे ….
विभा का बड़ा बेटा लगभग १८-२० साल का रहा होगा
विभा के पास एक लड़का (२६-२८ साल का ) आने लगा

क्यूँ कि उसके आने का समय होता था शाम के ४ से ७ बजे तक
जब तीनों बच्चें घर से बाहर होते थे और पति शराब की दुकान पर
शाम होते विभा का दुल्हन की तरह सजना संवरना और
उस लड़के के आते पूरी फिजा सुगंधित हो जाना
अब हमारे कौतुहल का विषय हो गया
क्यूँ आता है ,वो क्या करता है
1988 में मैं इनके साथ ,इनके नौकरी पर रहने लगी
सुनने में आया कि विभा घर छोड़ कर उस लड़के के साथ भाग गई
वो लड़का उन्हें ,बंबई ले गया है ….. फिल्मों में काम दिलाने के लिए
और कुछ वर्षो के बाद पता चला वो उन्हें सप्लाई करता है
कुछ वर्षो के बाद पता चला कि
वो लड़का उन्हें पटना में ही रखा है ….
बहुत बुरी स्थिति में हैं ……
दो बेटों की शादी हुई ,वे नहीं आई …..
तीसरे बेटे के शादी में आईं थी शायद
बीच वाले बेटे को एक बेटी हुई और
एक बार वो बहुत बीमार पड़ी तो
बेटा अपनी पत्नी के साथ
अपनी बेटी को लेकर विभा के पास ही पटना में ठहरा ……
जब मैं 1994 में पटना आई तो
मुझे विभा से मिलने की इच्छा होती रही लेकिन
हिम्मत नहीं पड़ी
विभा के सास -ससुर गुजर गए
विभा के पति की हत्या बड़े और छोटे बेटे ने मिल कर दिये
मझले बेटे को भी होली के दिन
भंग-शराब में जहर डाल कर मारने की कोशिश किए
लेकिन वो बच गया और घर छोड़ दिया …..
(सुनी हुई बात है)
विभा ऐसी नहीं होती तो ऐसा होता

मेरे देखने में विभा की जिंदगी में कोई कमी नहीं थी
एक औरत को पति के अलावे पराये मर्द प्यार की
इजाजत हमारा समाज नहीं देता है ,परन्तु
कहते हैं ना प्यार कभी भी किसी से हो जाता है तो
उस प्यार का हश्र यही होता है ??

अगर प्यार नहीं था तो
विभा की महत्तवाकांक्षा रही होगी
दहलीज पार करने का यही हश्र ??

आखिर विवेक की भी मौत हो गई
विवेक विभा जी का बड़ा बेटा
बाप दादा का अर्जित धन हाथ लगा
धन में पटीदार कोई न हो इसलिए
उसने सगे भाई को शराब में भांग
मिला कर पिला दिया
बहुत जद्दोजहद से भाई की जान डॉ बचा सके

शराब में भांग मिल जाए तो बहुत जहरीला हो जाता है
तभी मुझे जानकारी मिली भाई घर छोड़ कर ससुराल में रहने लगा

उसकी पत्नी एकलौती बेटी थी उसे भी एक ही बेटी है

पिता से धरोहर में मिली शराब की दुकान
बेचना कम पीना ज्यादा
सब भाइयों को शराब की लत लगी
लेकिन सबसे ज्यादा विवेक पिता था
अंत समय में शरीर का एक एक शिरा को
फाड़ कर खून बाहर निकला
बहुत बुरी मौत मरा

क्या मिला ??
धन तो पड़ा है
दिल पर जोर चलना चाहिए
क्यूँ कि हम चला सकते हैं विवेक से …..

*विभा रानी श्रीवास्तव

"शिव का शिवत्व विष को धारण करने में है" शिव हूँ या नहीं हूँ लेकिन माँ हूँ

5 thoughts on “विभा की कहानी ….. विभा की लेखनी …..

  • गुरमेल सिंह भमरा लंदन

    बहन जी , जैसे कि सविता जी ने भी लिखा है किस्मत और दिल पर जोर किस का है . लेकिन जैसे आप ने कहानी लिखी है , अगर एक को भी पड़ कर संभलने का होश आ जाए तो आप की कहानी कामयाब है. मुझे नहीं पता कि आप की लिखी कहानी काल्पनिक है या सही लेकिन ऐसा होता है . मेरे एक रिश्तेदार की पत्नी ने भी ऐसा ही किया था . सारा घर ही बर्बाद हो गिया और खुद भी लोगों के बर्तन साफ़ करके पेट पाल रही है . अब बूड़ी हो गई है और लोग उस को नफरत की निगाह से देखते हैं . रिश्तेदार मर गिया , बेतिआं किसी के साथ भाग गईं , एक ही बेटा था वोह ड्रग लेने लगा और सारी ज़मीन और मकान विक गए . जो घर कभी खाता पीता समझा जाता था अब सभ कुछ मट्टी में मिल गिया . किस को दोष दें?

  • सविता मिश्रा

    BAHUT अच्छा ….एक गलती सारे किये कराए पर पानी फेर देती है …पर किस्मत और दिल पर किसका जोर चला है भला

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      किस्मत का तो नहीं जानती हूँ बच्ची लेकिन दिल पर जोर चलना चाहिए क्यूँ हम चला सकते हैं विवेक से …. एक स्त्री तीन घर की इज्जत बनती या बिगाडती है …. एक ममहर दूसरा मैका तीसरा ससुराल …

  • विजय कुमार सिंघल

    अच्छी और आँखें खोल देने वाली कहानी।

    • विभा रानी श्रीवास्तव

      बहुत बहुत धन्यवाद आपका …. शुभ रात्री

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