मेरी कलम से ………
सौरभ के संग खिलते सुमन
बौराए मधुप करे गुन-गुन
गुलशन में आयी बहार सुगंध
कुहू कोकिल गाये मिठ्ठी धुन
ह्रदय कुञ्ज रंग राग उमंग
लाल कनेर मस्त गुलमोहर
चिताकर्षक वन खग विहग
बौराए मधुप करे गुन- गुन
**********************शान्ति
बहुत खूब!
आभार विजय भाई जी