मेरा बचपन क्यूं चुरा लिया?
अभी अभी जागा मै और,मेरी गोद मे बचपन लिटा दिया,..
मां न तुम्हारा ऑचल है,और न बाबा आते है,
सच कहूं मां मुझको, मुनिया के सवाल बहुत रूलाते हैं..
मुश्किल से मां उसको, मै बातों मै बहलाता हूं
उसको खिला सकू मै रोटी, इसलिए भूखा सो जाता हूं..
लोग यहॉ भूखे बच्चों को, लातो से ठुकराते हैं
या गरीब,यतीम कहकह कर हमपे दया दिखाते हैं..
क्या करूं समझ नही पाता, पर मुनिया को समझाता हूं
मां बाबा तो ला नही सकता, पर लोरी गा के सुलाता हूं..
तुम तो कहती थी ना मां,वो ईश्वर दुनिया को चलाता है
फिर क्यूं हम दोनो के लिए नही, वो रोटी और बिस्तर लाता है?
मां तुम तो कहती थी ना, कि मै अभी छोटा बच्चा हूं
क्यूं छोड. गए मां बाबा मुझको,क्यूं मुझ को बडा बना दिया?
सिर पर नही कोई साया है,मेरा बचपन किसने चुरा लिया,?
अभी अभी जागा मै और,मेरी गोद मे बचपन लिटा दिया,….
मेरा बचपन किसने चुरा लिया,?
मेरा बचपन किसने चुरा लिया,?,
…..प्रीति
प्रीती जी , यतीम बच्चे और ऊपर से गरीबी कैसी किस्मत है यह . लोग कहते हैं भारत बहुत तेज़ी से उन्ती कर रहा है . जब ऐसी गरीबी और लाचारी देखता हूँ तो मुझे उन्ती लफ्ज़ कुछ अजीब सा लगता है .
बहुत अच्छी कविता, प्रीति जी.