त्रिवेणी
जापानी ‘हाइकु’ में जहां तीन पंक्तियों में क्रमानुसार 5+7+5 कुल मिलाकर केवल 17 वर्णों में विचार अंकित करने की बाध्यता है, वहीं त्रिवेणी विधा में ऐसी कोई बाघ्यता न होकर तीन लयवद्ध पंक्तियों में विचार व्यक्त करने होते हैं। इस प्रकार तीन पक्तियों की साम्यता के अतिरिक्त इन दोनों विधाओं में अन्य कोई साम्य नहीं है।
====
वैसे गुलज़ार साहब ने इसके संबंध में अपनी त्रिवेणी संग्रह रचना त्रिवेणी के प्रकाशन के अवसर पर इसकी परिभाषा इस प्रकार दी थी-
……..शुरू शुरू में तो जब यह फॉर्म बनाई थी, तो पता नहीं था यह किस संगम तक पहुँचेगी – त्रिवेणी नाम इसीलिए दिया था कि पहले दो मिसरे, गंगा-जमुना की तरह मिलते हैं और एक ख़्याल, एक शेर को मुकम्मल करते हैं लेकिन इन दो धाराओं के नीचे एक और नदी है – सरस्वती जो गुप्त है नज़र नहीं आती; त्रिवेणी का काम सरस्वती दिखाना है तीसरा मिसरा कहीं पहले दो मिसरों में गुप्त है, छुपा हुआ है । —-गुलज़ार
Siddharth Vallabh
त्रिवेणी कैसे लिखें—
पहले दो मिसरे छल्ले जैसे हो। एक दूसरे से मिलते हुए। तीसरा मिसरा नग़ की तरह जो बिलकुल फिट बैठे छल्ले में।
शब्द का दुहराव ना हो तो बेहतर लगेगा।
काफिया रदीफ़ और बहर से मुक्त हो सकते हैं पहले दो मिसरे लेकिन मात्रा सटीक हों।2-4 मात्रा इधर उधर हों लेकिन शे’र की शक्ल में हो। तीसरा मिसरा स्वतंत्र रहेगा।
कुछ भी लिखें लेकिन भाव स्पष्ट हो।
==========
1
चातक-चकोर को मदमस्त होते भी सुना है !
ज्वार-भाटे को उसे देख उफनते भी देखा है !
यूँ ही नहीं होता माशूकों को चाँद होने का गुमाँ !!
2
रब एक पलड़े पर ढेर सारे गम रख देता है !
दूसरे पलड़े पर छोटी सी ख़ुशी रख देता है !
महिमा तुलसी के पत्ते के समान हुई !!
3
टोकने वाले बहुत मिले राहों के गलियारों में !
जिन्हें गुमान था कि वही सयाने हैं टोली में !
कामयाबी पर होड़ में खड़े दे रहे बधाई मुझे !!
==
साथ हमारे
विध्वंस या निर्माण
गुरु के हाथ।
====
वाह। बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति विभा जी
कुछ लोग दुमदार दोहे लिखा हारते हैं. यह ‘त्रिवेणी’ छंद उसी का बदला हुआ रूप लगता है. अगर इसका सही तरीके से उपयोग किया जाए तो यह हाइकु छंद से अधिक प्रभावशाली है. परिचयात्मक जानकारी देने के लिए आभार.
@दुमदार दोहे लिखा हारते हैं का मतलब
हारते हैं नहीं, करते हैं. टाइपिंग की गलती.