कविता

प्यार ही पूजा

प्यार महके ज़िन्दगी, में प्रभु से मेरी प्रार्थ्रना है ,

प्यार सच्चा हो तो यह, उम्र भर की साधना है,

प्यार ही पूजा हमारे मन में सच्ची भावना है,

प्यार के हर स्पर्श में मिलन सुख की कामना है, 

प्यार में भगवान दर्शन, यह हमारा  मानना  है,

प्यार से  खुशियों का इक विशाल अम्बर तानना है , 

प्यार में हर सुख निहित है यह सभी को जानना है,

प्यार ही  पूजा प्रभु की उस शक्ति की पहचानना है, 

प्यार ही तो   ज़िन्दगी  की,  सबसे बड़ी उपासना है,

प्यार से अपना बना लो, हर हृदय आपकी सराहना

 

–जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

2 thoughts on “प्यार ही पूजा

  • राजीव उपाध्याय

    सुन्दर

  • विजय कुमार सिंघल

    एक और अच्छी कविता. प्रेम भगवान का वरदान है.

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