नशा क्या है ?
जो पीता है शराब
क्या वही नशे में है
लगता है मानो
आज सभी नशे में है,
किसी को दौलत का नशा,
किसी को शौहरत का नशा,
किसी को प्यार का नशा,
किसी को सत्ता का नशा,
ए दोस्त! जो कहता है
कि मुझे नशा शराब का है
वो कितना पागल है
शराब से ज्यादा नशा
तो दौलत, शौहरत, सत्ता में है
अगर न होती सत्ता तो,
सत्ता मिलते ही लोग
गरीबो को न भूल जाते
नशा में आज ज़माना सारा है,
और लोग कहते है
कि हम नशे में है
सुन्दर अभिव्यक्ति गरिमा जी
अच्छी कविता, गरिमा. यह सच है कि नशा कई प्रकार का होता है. तुलसीदास जी कह गए हैं- ‘प्रभुता पाय काहि मद नाहीं’.