तुम न आये ……
प्रेम की परिभाषा
………कभी विरह तो
कभी मिलन
………नए तराने
नए अफ़साने
………वो उलझे रिश्ते
आये न जो तुम
………कभी सुलझाने
वो भूले गीत
………वो भूली यादें
एक पल हँसना
……..पल में रूठ जाना
चिंतन तो कभी घुटन
……..वो पुराने किस्से
कुछ कहे तो
……..कुछ अनकहे
आये न जो तुम
……..कभी सुनने सुनाने
ख़ामोशी का दर्द
……..नासूर बन
जीवन भर सालता रहा
……..आये न जो तुम
कभी मरहम लगाने
……..मिला तुमसे ज़िन्दगी में
कभी दर्द तो
………कभी अथाह प्रेम
आये न जो तुम
………कभी जतलाने
बहुत अछे , मज़ा आ गिया .
वाह ! वाह !! बहुत खूब !!!