कविता

ज़िंदगी एक वरदान   

 

हर एक मुस्कराहट चेहरे की, मुस्कान नहीं होती,

प्यार हो या दिल्लगी कभी भी, अनजान नहीं होती,

आंसू आँखों में आते हैं , गम में भी और ख़ुशी में भी, 

पर हर इंसान को इन आंसूंओ की पहचान नहीं होती, 

 

कभी पानी का एक कतरा भी प्यास  को नसीब नहीं,

कभी रिमझिम बरसते पानी की परवाह नही होती,

जिसका दिल खुद एक बहता हुआ दया का दरया हो,

उसकी की हुई मदद ,  किसी पे अहसान नहीं होती,

 

ज़िंदगी की राहों में दुःख भी आते हैं और सुख भी ,

पर यह ज़िंदगी किसी श्ख्स की मेहमान नहीं होती,

उम्र तो गुजरती रहती है अपनी ही रफ़्तार से –

उसके रास्तों की पहचान, इतनी आसान नहीं होती,

 

कभी  भी अपने कर्तव्यो से तुम  मुंह ना मोड़ो-

बिना मेहनत कभी सफलता परवान नहीं होती,

और जो इंसान कोसते रहते हैं अपनी किस्मत को–

उनके लिए यह ज़िंदगी कभी ‘वरदान’ नहीं होती,— जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया

जय प्रकाश भाटिया जन्म दिन --१४/२/१९४९, टेक्सटाइल इंजीनियर , प्राइवेट कम्पनी में जनरल मेनेजर मो. 9855022670, 9855047845

One thought on “ज़िंदगी एक वरदान   

  • विजय कुमार सिंघल

    बहुत अच्छी और प्रेरक कविता, भाटिया जी.

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