कविता

बेटियों पर चंद हाइकु कविताएँ

1
अल्हड़ बाला
उड़ी पंख पसार
बनी निबाला ।

2
बेटी न जाई
बेटा सूनी कलाई
माता लजाई ।

3
सहमा मन
बेटी भरे उड़ान
गिद्ध जहान ।

4
फूटा अंकुर
तरु हृदय पीड़ा
खिले या नहीं ।

5
अभागी कली
खिलने से पहले
धूल जा मिली ।

6
वेली न बढ़ी
नारी की अरि नारी
आश हताश ।

7
घर का कोना
बेटियाँ नहीं जन्मी
रहता सूना ।

8
बंजर जमीं
खिलती नही कली
मायूस फिजा ।

9
मासूम कली
दहलीज लांघती
गिद्ध सी दृष्टि ।

10
दीप ही नहीं
रोशन करे बेटी
घर आँगन ।

11
क्यूँ मांगो बेटा
एवेरेस्ट पहुंची
देश की बेटी ।

गुंजन अग्रवाल

नाम- गुंजन अग्रवाल साहित्यिक नाम - "अनहद" शिक्षा- बीएससी, एम.ए.(हिंदी) सचिव - महिला काव्य मंच फरीदाबाद इकाई संपादक - 'कालसाक्षी ' वेबपत्र पोर्टल विशेष - विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं व साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित ------ विस्तृत हूँ मैं नभ के जैसी, नभ को छूना पर बाकी है। काव्यसाधना की मैं प्यासी, काव्य कलम मेरी साकी है। मैं उड़ेल दूँ भाव सभी अरु, काव्य पियाला छलका जाऊँ। पीते पीते होश न खोना, सत्य अगर मैं दिखला पाऊँ। छ्न्द बहर अरकान सभी ये, रखती हूँ अपने तरकश में। किन्तु नही मैं रह पाती हूँ, सृजन करे कुछ अपने वश में। शब्द साधना कर लेखन में, बात हृदय की कह जाती हूँ। काव्य सहोदर काव्य मित्र है, अतः कवित्त दोहराती हूँ। ...... *अनहद गुंजन*

One thought on “बेटियों पर चंद हाइकु कविताएँ

  • विजय कुमार सिंघल

    बेटियों पर बहुत अच्छी हाइकु.

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