गीतिका
राम सीता हीरक मणि
वीर बालाजी उर धणी
राम का नाम रटते रह
पाप ताप नहीं रहणी
मोह तिमिर सब नष्ट होते
नाम सुमिर भव पार तरणी
राम का संदेश दिया
सीय माता दुःख हरणी
युगल नयन जल से भीगे
दीनि जब मुद्रिका मणि
राम सीता हीरक मणि
वीर बालाजी उर धणी
राम का नाम रटते रह
पाप ताप नहीं रहणी
मोह तिमिर सब नष्ट होते
नाम सुमिर भव पार तरणी
राम का संदेश दिया
सीय माता दुःख हरणी
युगल नयन जल से भीगे
दीनि जब मुद्रिका मणि
Comments are closed.
आध्यात्मिक कविता !